गिरिजा कुमार माथुर का जन्म 22 अगस्त 1919 में ग्वालियर जिले के अशोक नगर कस्बे में हुआ

गिरिजा कुमार माथुर का जन्म 22 अगस्त 1919 में ग्वालियर जिले के अशोक नगर कस्बे में हुआ
उनके पिता का नाम ‘देवीचरण माथुर’ था जो कि पेशे से स्कूल में अध्यापक थे
जन्म शताब्दि वर्ष गिरिजा कुमार माथुर 1943 ई0 में तार सप्तक का प्रकाशन अपने आप में अनोखी घटना थी।
उससे भी अनोखी घटना है
इससे पूर्व व्यास पुरस्कार डॉ० नगेन्द्र और डॉ० शिव प्रसाद सिंह को मिल चुका है।
एम. ए., एल.एल.बी. तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद वकालत की, दिल्ली में आकाशवाणी में काम किया और फिर अमरीका चले गए। लौट कर फिर दिल्ली आए और आकाशवाणी प्रतिनिधि-मंडल के सदस्य बन कर अनेक देशों में घूमे।कविता के अतिरिक्त वे एकांकी नाटक, आलोचना, गीति-काव्य तथा शास्त्रीय विषयों पर भी लिखते रहे है।
10 जनवरी 1994 को नई दिल्ली मे उनका निधन हुआ।
सन् 1943 में अज्ञेय द्वारा सम्पादित एवं प्रकाशित तारसप्तक के सात कवियों में से एक कवि गिरिजाकुमार भी हैं।
यहाँ उनकी रचनाओं में प्रयोगशीलता देखी जा सकती है। प्रयोगशीलता के साथ-साथ प्रगतिशील कवि भी हैं।
मार्क्सवाद का प्रभाव उन पर भी पडा है।
नाश और निर्माण की कविताएँ लिखते समय (1939 से 1945) यह प्रभाव स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है।
जो बाद में धूप के धान, शिला पंख चमकीले, साक्षी रहे वर्तमान, मैं वक्त के हूँ सामने संग्रहों में देखा जा सकता है।
मार्क्सवादी प्रभाव के संबंध में उन्होंने लिखा है,
मार्क्सवाद के अध्ययन से मेरी ऑंखें खुल गयीं।
मुझे स्पष्ट हुआ कि राजनीति के समझ के बिना यथार्थ की पहचान नहीं हो सकती।