सुमित्रानंदन पंत का जन्म अल्मोड़ा जिले के कौसानी नामक ग्राम में 20 मई 1900 ई. को हुआ

सुमित्रानंदन पंत ने हिंदी साहित्य में अपना अविस्मरणीय दिया है। सुमित्रानंदन पंत को ‘प्रकृति के सुकुमार कवि’ भी कहा जाता है।
सुमित्रानंदन पंत का व्यक्तित्व एवं कृतित्व:- (20 मई 1900 – २८ दिसम्बर १९७७) हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं।
सुमित्रानंदन पंत हिन्दी साहित्य में ‘छायावादी युग’ के चार स्तंभों में से एक माने जाते हैं।
सुमित्रानंदन पंत का जन्म अल्मोड़ा जिले के कौसानी नामक ग्राम में 20 मई 1900 ई. को हुआ
विचारक, दार्शनिक और मानवतावादी रचनाकार सुमित्रानंदन पंत की काव्यचेतना का प्रतिबिम्बन है,
युगवाणी’ से लेकर ‘अतिमा’ तक की रचनाओं के इस संचयन में पंत की काव्य-चेतना का संचरण परिलक्षित होता है.
पंत ने भौतिक और आध्यात्मिक दोनों दर्शनों से जीवनोपयोगी तत्त्वों को लेकर अपनी रचनाओं में भरे-पूरे मनुष्यत्व का निर्माण करने का प्रयास किया, जिसकी आवश्यकता आज भी बनी हुई है.
उनका निधन 28 दिसम्बर 1977 को हुआ।