अद्वितीय मेंढक मंदिर लखिमपुर से सीतापुर तक मार्ग पर 12 किलोमीटर दूर ओइल में स्थित है।

अद्वितीय मेंढक मंदिर लखिमपुर से सीतापुर तक मार्ग पर 12 किलोमीटर दूर ओइल में स्थित है। यह भारत में अपनी तरह का एक मात्र है,
जो “मन्डूक तानात्रा” पर आधारित है।
यह 1860 से 1870 के बीच ओल राज्य (जिला लखीमपुर खेरी) के पूर्व राजा द्वारा बनाया गया था।
यह भगवान शिव को समर्पित मंदिर है।
हिंदू धर्म में भगवान और मंदिरों का बड़ा महत्व है।
क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान ही इस सृष्टि का संचालन करते हैं। उनकी ही इच्छा से धरती पर सबकुछ होता है।
वैसे तो हिंदू धर्म की मान्यता है कि भगवान हर जगह मौजूद हैं,
लेकिन भारत की संस्कृति ऐसी है कि यहां जगह-जगह आपको अलग-अलग देवताओं के मंदिर मिल जाएंगे।
ऐसा सदियों से चला आ रहा है
कि लोग अपनी श्रद्धा से मंदिरों का निर्माण करवाते हैं।
आपको बता दें कि हमारे देश में ऐसे कई मंदिर हैं,
जो अपने आप में काफी अनोखे हैं।
मंदिरों में अलग-अलग देवताओं की पूजा के बारे में आपने खूब सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी ऐसे मंदिर के बारे में सुना है,
जहां मेंढक की पूजा होती है?
दरअसल, ये अनोखा मंदिर उत्तरप्रदेश के लखीमपुर-खीरी जिले के ओयल कस्बे में स्थित है।
यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां मेंढक की पूजा होती है।